हल्के लड़ाकू विमानों की कमी, सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा: संसदीय रिपोर्ट
Ajmer:
नई दिल्ली: संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में
कहा है कि देश की वायु सेना के पास पर्याप्त संख्या में लाइट कॉम्बैट
एयरक्राफ्ट (एलएसी) यानी हल्के लड़ाकू विमान नहीं हैं। समिति ने अपनी
रिपोर्ट में एलएसी जिनमें तेजस जैसे विमान हैं की कम संख्या को लेकर अपनी
चिंता जाहिर करते हुए इसे देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा करार दिया है।
बता दें कि संसदीय कमिटी की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब मोदी सरकार
अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल के सौदे को लेकर घिरी हुई है।
लोक लेखा समिति ने रक्षा मंत्रालय से तत्काल इस दिशा में जरूरी कदम
उठाने का सुझाव भी दिया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वायु सेना
अपनी आपरेशनल जरूरतों के लिए फिलहाल अल्पकालीन उपायों पर निर्भर है। यह
स्थिति ठीक नहीं है और जल्द इसका समाधान होना चाहिए। समिति ने अपनी रिपोर्ट
में कहा, ‘वायु सेना की जरूरतों को देखते हुए तत्काल इस प्रॉजेक्ट को पूरा
करना चाहिए। लंबे समय के लिए भारत इस श्रेणी के विमानों के आयात को रोकने
और इसे भारत में ही बनाने को लेकर सरकार को दिशा-रेखा तय करनी चाहिए।’
कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस वक्त वायु सेना को ऐसे
42 और विमानों की जरूरत है, लेकिन फिलहाल सिर्फ 30 ही विमान हैं। मिग-21 और
मिग-27 जैसे एयरक्राफ्ट जो अभी वायु सेना में हैं वह 10 साल बाद रिटायर हो
जाएंगे। रिपोर्ट तैयार करनेवाली कमिटी के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद
मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।
पीएसी ने अपनी रिपोर्ट में वर्तमान स्थिति से निराशा जताई है। रिपोर्ट
में कहा है कि तीन दशकों से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी रक्षा
मंत्रालय के अधीन एयरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी (ADA) जरूरत के मुताबिक
स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान विकसित नहीं कर पाई है।